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अपनी चीज़ों के बारे में

apni chizon ke bare mein

मलयज

अन्य

अन्य

मलयज

अपनी चीज़ों के बारे में

मलयज

और अधिकमलयज

    अपनी चीज़ों के बारे में निष्पक्ष होना मुश्किल है

    इसलिए मैंने तय किया कि

    दूसरों के पसंद किए कपड़े पहनूँगा

    मोची को अपना नाप देने के बदले

    ढालूमल का नाप दूँगा

    अपने घर में रहूँगा

    और जगन्नाथ का किराया भरूँगा

    कवि ने कहा मौन स्वर्ण है

    अतः मैंने सोचा कि

    अपने सब शब्द नेता को दे

    बदले में स्वर्ण ले

    दंद-फंदों से बरी देश की दरी पर बैठूँगा

    और नेता को सुनूँगा

    जब जनता चिल्लाई देश ग़रीब है

    मेरी माता के घर में अनाज रहे

    मैं लेटे-लेटे उदास हो गया

    ग़रीब नवाज़ ने पुकारा जागो फिर एक बार

    जागने के लिए मैं सो गया।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ज़ख़्म पर धूल (पृष्ठ 44)
    • रचनाकार : मलयज
    • प्रकाशन : रचना प्रकाशन
    • संस्करण : 1971

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