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अनिवार्यता

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मोना गुलाटी

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मोना गुलाटी

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मोना गुलाटी

और अधिकमोना गुलाटी

    एक दिन मैं पाप की भाँति पागल हो जाऊँगी और

    आग की भाँति फैलूँगी

    समूचे क़स्बे और गाँव में।

    कौन खोदता है मेरे देश की बंजर भूमि को

    भविष्य को काँख में दबाए। सभी

    बनमानुष जंगलों में भाग गए हैं और

    वनों में लग गए हैं राख के ढेर

    बनैले सूअर और गीदड़ एक आवाज़ में रोते हैं

    आह्वान करते हैं प्रेतों और पिंजरों का

    लंबे हाथों का काला पंजा ग्रस लेता है

    पूरा मुँह और लीलता है अजगर और

    ह्वेल मछली का भारी-भरकम शरीर।

    पिघलते हुए पंखों और गिरहकटों के दल में

    बंद है एक बिल्ली, एक पालतू गाय और

    एक आदिमानव

    —प्रलय के अंत की प्रतीक्षा में!

    खोह में से निकलता है एक सूजी आँखों वाला

    जानवर ओर मज़ाक़ में लील जाता है पूरा देश।

    स्रोत :
    • पुस्तक : महाभिनिष्क्रमण (पृष्ठ 42)
    • रचनाकार : मोना गुलाटी

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