Font by Mehr Nastaliq Web

आदमी क्या चाहता है

adami kya chahta hai

अनिल कुमार सिंह

अन्य

अन्य

अनिल कुमार सिंह

आदमी क्या चाहता है

अनिल कुमार सिंह

और अधिकअनिल कुमार सिंह

    एक आदमी क्या चाहता है

    सिवाय इसके

    कि उसे भी प्यार किया जाए

    उसे प्यार किया जाए इस

    आशा से वह देखता है

    इस आदमज़ाद को

    जोकि बस जाने को ही है

    प्यार से देखना ही सिर्फ़

    प्यार करना नहीं है शायद

    प्यार से देखती उसकी आँखें

    पीछा करती हैं उस आदमज़ाद का

    उस अंधी सुरंग तक

    अंधी सुरंग का अँधेरा उसकी

    आँखों में उतर रहा है

    उतर रहा है अँधेरा उसके जिस्मो-जाँ में

    अपने ख़ून सने

    पंजों को फैलाता हुआ

    इसके पहले कि अँधेरा उसे

    जकड़कर बाँध ले वह

    चूम लेना चाहता है उसे

    जिसके जाने को देखती हुई प्यार से

    आशा भरी आँखें खींच लाई थीं

    उसे इस तहख़ाने तक

    पर यहाँ से एक दूसरी ही सुरंग

    शुरू होती है जिसमें कि

    वह चला गया है

    आगे उसका अपना अँधेरा भी है जिसे

    वह चूमना चाहता है जो उसके भी

    अँधेरे से भयावह है शायद

    भूख, बेबसी और अँधेरे की

    अलग ही दुनिया है वहाँ जिससे

    नावाक़िफ़ था वह अब तक

    एक आदमज़ाद क्या चाहता था

    सिवाय इसके कि उसे

    प्यार किया जाए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पहला उपदेश (पृष्ठ 50)
    • रचनाकार : अनिल कुमार सिंह
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2001

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए