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आस-पास

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पंकज प्रखर

अन्य

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पंकज प्रखर

आस-पास

पंकज प्रखर

और अधिकपंकज प्रखर

    मेरे आस-पास

    सकारात्मक लोगों की

    एक भारी भीड़ है

    जो हर वक़्त

    मुस्कुराने की क़समें देती रहती है

    उन्होंने वातावरण में

    एक ऐसी धुंध फैलाई हुई है

    जिसमें रोने वालों को

    साँस लेने तक की इजाज़त नहीं है

    कोई किसी के पास बैठकर

    हाल भी पूछ ले अगर

    तो उसे सिर्फ़ उत्तर में

    ठीक सुनने की ही आदत है।

    लोग-बाग़ कहते रहते हैं :

    ख़ुश रहो कि ख़ुश होने से सब ठीक होगा!

    मैं सोचता हूँ :

    कोई हर वक़्त ख़ुश कैसे हो सकता है?

    मैं सच कहता हूँ :

    मैं अपने दुःख से उतना कभी नहीं डरा

    जितना सकारात्मक्ता का आवरण ओढ़े

    इन झूठों से डरा हूँ।

    मैं बस इतना चाहता हूँ कि

    अपने दुःख में दुःखी

    और सुख में ख़ुश रह सकूँ।

    लेकिन इस सकारात्मकता की भीड़ में शामिल होकर

    मैं हर वक़्त झूठ नहीं बोल सकता!

    स्रोत :
    • रचनाकार : पंकज प्रखर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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