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मैथिली लोकगीत : कोन देस से अयलै रे सोनरवा

maithili lokgit ha kon des se ayalai re sonarwa

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रोचक तथ्य

संदर्भ—सोनार से गहने गढ़ाने की बात।

कोन देस से अयलै रे सोनरवा,

बइसि गेलै बबा के दुआर।।1।।

पूरबहिं देस से अयलै सोनरवा,

बइसि गेलै बबा के दुआर।।2।।

नीक नीक गहना गढ़िहे रे सोनरा,

सीता बेटी जइति ससुरार।।3।।

माय मोर साँठत पति पेटारिहुँ,

बाबा साँठत धेनु गाय।।4।।

भाय मोर साँठत फूटलि बासन,

भउजिक हृदय कठोर।।5।।

धिया जनम जनि दिअह बिधाता,

धिया डूबथि बिच धार।।6।।

हे सुनार! तुम किस देश से आए हो और मेरे पिताजी के दरवाज़े पर बैठ गए हो?।।1।।

सुनार पूर्व देश से आया है और पिताजी के दरवाज़े पर बैठ गया है।।2।।

इतने में घर से लड़की की माँ निकली, उसने सुनार से कहा—हे सुनार! अच्छे-अच्छे गहने गढ़ो, सीता बेटी ससुराल जाएगी।।3।।

बेटी सोचती है—मेरी माँ पिटारी सजा कर देगी और पिताजी गाय सजा कर देंगे।।4।।

मेरा भाई फूटे बर्तन देगा और भाभी का तो हृदय कठोर है (वह कुछ भी

देगी)।।5।।

फिर बेटी प्रार्थना करती है—हे विधाता! लड़की का जन्म मत देना। वह तो बीच मँझधार में डूब जाती है अर्थात् उस पर बड़ी विपदाएँ पड़ती रहती हैं, माँ-बाप के अतिरिक्त कोई उस पर ध्यान नहीं देता।।6।।

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