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मैथिली लोकगीत : दुलहा आये दुअरिया में

maithili lokgit ha dulha aaye duariya mein

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रोचक तथ्य

संदर्भ—दूल्हे का कन्या के दरवाज़े पर पहुँचना।

दुलहा आये दुअरिया में,

घन साजु हे सखिया इजोरिया में।।1।।

दउरि चलत प्रभु हँसत सखी,

सब जनमाए बाजीगरिया से।।2।।

ठुमुकि चलत कहत सखी सब,

जनमाए हाथि हथिसरिया में।।3।।

ठाढि भए प्रभु कहत सखी सब,

जनमाए सैल सगरिया में।।4।।

दूल्हा दरवाज़े पर गया। हे सखी! चलो हम लोग सजधज कर चाँदनी में स्वागत करें।।1।।

जब दुल्हा तेज़ चलता है तो सब सखियाँ हँसती हैं और कहती हैं—लगता है, इसकी माँ ने घुड़साल में (घोडे से प्रसंग कर) इसे पैदा किया है।।2।।

दूल्हा रुक-रुक कर चलता है तब सब सखी कहती हैं-लगता है इसकी माँ

ने फीलखाने में (हाथी से प्रसंग कर) इसे जन्म दिया है।।3।।

जब दूल्हा खड़ा हो जाता है तो सब सखी कहती हैं—जान पड़ता है दूल्हे की माँ ने समुद्र में पर्वत से प्रसंग कर जन्म दिया है।।4।।

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