Font by Mehr Nastaliq Web

भोजपुरी लोकगीत : बाल बिआह जनु करु मोरे बाबा हो

bhojapuri lokgit ha baal biah janu karu more baba ho

अन्य

अन्य

रोचक तथ्य

संदर्भ—बाल-विवाह।

बाल बिआह जनु करु मोरे बाबा हो,

बाल बिआह दुख खानि हो।।1।।

बैल से बछिया जोरहु बाबा हो,

मानहु बिनती हमारि हो।।2।।

जब होइहें बेटी सयान मोरे बाबा हो,

खोजि सेयान बर बिआह हो।।3।।

धरम करम अवरु सेवासत करवा हो,

देसवा के जाने ब्यौहार हो।।4।।

एक बालिका अपने पिता से निवेदन करती है—हे पिताजी! बाल-विवाह मत कीजिए, बाल-विवाह दुःख की खान है।।1।।

हे पिताजी! मेरी विनय मानिए और बैल से बछिया जोड़िए अर्थात् बुड्ढे से कुमारी कन्या का विवाह कीजिए।।2।।

हे पिताजी! जब बेटी सज्ञान हो जाए तो उपयुक्त वर खोज कर विवाह कर दीजिएगा।।3।।

जब वह धर्म-कर्म, सेवा-सत्कार और लौकिक व्यवहार जानने वाली हो जाए।।4।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 93)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए