noImage

रूमी

1207 - 1273

संसारप्रसिद्ध सूफ़ी कवि और रहस्यवादी संत। 'मसनवी-ए-मा’नवी', 'फ़िहि माफ़ीह' और 'दीवान-ए-शम्स तबरेज़ी' उल्लेखनीय कृतियाँ।

संसारप्रसिद्ध सूफ़ी कवि और रहस्यवादी संत। 'मसनवी-ए-मा’नवी', 'फ़िहि माफ़ीह' और 'दीवान-ए-शम्स तबरेज़ी' उल्लेखनीय कृतियाँ।

रूमी की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 14

नास्तिकता शुष्क छिलका है जो ऊपर से विलक हो गया तो उसके नीचे धर्म का कोमल और स्वादिष्ट छिलका पाया गया।

  • शेयर

मैं कौन हूँ और कौन नहीं हूँ, इसको जानने में मैंने बहुत-सी चीज़ें जान ली हैं। और वह कौन है और कौन नहीं है इसी को जानने में बहुत-सी चीज़ें मैंने खो दी हैं।

  • शेयर

अंत में मैंने अपने हृदय के कोने में दृष्टि डाली। देखता क्या हूँ कि वह वहीं पर उपस्थित है। दूसरे स्थानों में व्यर्थ भटकता फिरा।

  • शेयर

तू मिट्टी था पर अब हृदय के रूप में परिणत हो गया है। तू मूर्ख था परंतु अब बुद्धिमान हो गया है। जिसने तुझे ऐसा बना दिया है, वही तुझे उस प्रकार उधर भी ले जाएगा।

  • शेयर

प्रेमी और प्रेम अमर हैं। प्रेम के अतिरिक्त किसी अन्य वस्तु से प्रेम कर क्योंकि अन्य वस्तुओं का अस्तित्व अस्थायी है।

  • शेयर

पुस्तकें 1

 

Recitation