नरेश गोस्वामी के बेला
कृष्ण कुमार : एक शालीन और साफ़ आवाज़
शिक्षाविद् कृष्ण कुमार के बारे में न्यूनतम कहना भी एक मुश्किल काम है क्योंकि ‘प्रसिद्ध’ या ‘लब्ध-प्रतिष्ठ’ जैसे विशेषणों से न उनके कृतित्व की महत्ता का अंदाज़ा होता है, न उनके काम की बहुआयामिता का आभ
यात्रा के बाद यात्रा-वृत्तांत से हटकर
जैसे कुमार अंबुज फ़िल्मों पर लिखते हुए फ़िल्म की समीक्षा नहीं करते, बल्कि उसके दृश्यों, संकेतों, अर्थों और आशयों की तहों को खोलते हुए एक स्वतंत्र कृति की रचना कर देते हैं, वैसे ही डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म