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लक्ष्मीनारायण मिश्र

1903 - 1987 | मऊ, उत्तर प्रदेश

लक्ष्मीनारायण मिश्र की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 18

स्त्री का हृदय सर्वत्र एक है; क्या पूर्व क्या पश्चिम, क्या देश क्या विदेश |

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स्त्री किसी भी अवस्था की क्यों हो, प्रकृति से माता है और पुरुष किसी भी अवस्था का क्यों हो, प्रकृति से बालक है।

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अपने धर्म की चिंता मनुष्य नहीं करता किंतु दूसरों के लिए वह बराबर धर्म बनाता चलता है।

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धर्म आकाश से नीचे नहीं उतरता, धरती से ऊपर उठता है।

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जाति पुरुष की होती है... कन्या की देह पर जाति का अवलेप नहीं चढ़ता। भाग्य जिस पुरुष के साथ जा लगे... उसकी जाति उस पुरुष की हो जाती है।

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पुस्तकें 7

 

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