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आशापूर्णा देवी

1909 - 1995 | कोलकाता, पश्चिम बंगाल

समादृत बांग्ला उपन्यासकार और कवयित्री। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत बांग्ला उपन्यासकार और कवयित्री। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

आशापूर्णा देवी के उद्धरण

गाँव के गँवईपन में भी एक तरह की शोभन सभ्यता है यह शहरी गँवई बहुत कुत्सित है।

यद्यपि लड़की फूटी कौड़ी के मोल की होती है, फिर भी उसे देखने को जी चाहता है, लेने-छूने को जी चाहता है और स्नेह की वस्तु है इसलिए एक मीठी अनुभूति आती है।

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