आचार्य रामचंद्र शुक्ल का आलोचनात्मक लेखन
उपन्यास
आजकल उपन्यास लिखने में बहुत लोगों की धड़क खुल गई है। इनमें यदि थोड़े ऐसे हैं जिन्हें अपनी कल्पना और अनुभव का सहारा है, तो बहुत से ऐसे भी हैं जिनका अन्य भाषाओं की विख्यात पुस्तकों पर गुज़ारा है। उपन्यास साहित्य का एक प्रधान अंग है। मानव प्रकृति पर इसका
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere