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सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

1896 - 1961 | मिदनापुर, पश्चिम बंगाल

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। समादृत कवि-कथाकार। महाप्राण नाम से विख्यात।

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। समादृत कवि-कथाकार। महाप्राण नाम से विख्यात।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की संपूर्ण रचनाएँ

कविता 28

गीत 25

ग़ज़ल 1

 

पत्र 1

 

आलोचनात्मक लेखन 2

 

निबंध 2

 

उद्धरण 9

दुःख को देवता समझो।

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जितने भी धर्म प्रचारित किए गए, सब अपनी व्यापकता तथा सहृदयता के बल पर फैले।

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बिना इंद्रियों को जीते धर्माचरण निष्फल है।

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नेता? नेता कौन है? मनुष्य? एक मनुष्य सब विषयों की पूर्णता पा सकता है? 'न। इसीलिए नेता मनुष्य नहीं। सभी विषयों की संकलित ज्ञान-राशि का नाम नेता है।

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साथ निवास करने वाले दुष्टों में जल तथा कमल के समान मित्रता का अभाव ही रहता है। सज्जनों के दूर रहने पर भी कुमुद और चंद्रमा के समान प्रेम होता है।

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पुस्तकें 10

 

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