सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के निबंध
हमारे साहित्य का ध्येय
आज हमारे साहित्य को देश तथा साहित्यिकों के समाज में वह महत्व प्राप्त नहीं, जो उसे राजनीति के वायुमंडल में रहने वाले में, जन्म-सिद्ध अधिकार के रूप से प्राप्त है। इसलिए हमारे देश के अधिकांश प्रांतीय साहित्यिक राजनीति से प्रभावित हो रहे हैं। यह सच है कि