उपेंद्रनाथ अश्क के निबंध
लेखकों की समस्याएँ : व्यष्टि और समष्टि
व्यष्टि और समष्टि—व्यक्ति और समाज—कहानी लेखन के संदर्भ में एक को हटाकर मैं दूसरे की कल्पना नहीं कर सकता। आदमी जिस क्षण आँख खोलता है, देखने-सुनने लगता है, बाहर होने वाले कार्य-व्यापार को वह अपने मन के आईने पर प्रतिबिंबित करके देखता है। देखने वाला, सुनने
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere