उपेंद्रनाथ अश्क के यात्रा वृत्तांत
भगवान क्या बोलेगा
[असम-प्रवास के दौरान सुरेंद्रपाल को लिखा गया यह पत्र किंचित संक्षिप्त रूप में ‘धर्मयुग’ में छपा था। कभी-कभी जब मैं बाहर जाता हूँ, मैं ऐसे पत्र लिखा करता हूँ। उद्देश्य उतना पत्र लिखना नहीं होता, जितना उस बहाने यात्रा के मनोरंजक विवरणों को पंक्तिबद्ध करना,
क़ाबुल में बुज़कशी
बुज़ - बकरा, कशी - खींचना जब हम दिल्ली से हवाई जहाज़ में मॉस्को के लिए बैठे थे तो हमें बताया गया था कि काबुल में हमें दूसरा जहाज़ तैयार मिलेगा। लेकिन जब ग्यारह-साढ़े ग्यारह बजे के क़रीब हमारा जहाज़ काबुल के एयरोड्रोम पर पहुँचा तो मॉस्को जाने वाला जहाज़
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere