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दुनिया की छत

duniya ki chhat

अज्ञात

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दुनिया की छत

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    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा पाँचवी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    हिंदवी

    किसी भी लोककथा को समझने के लिए उस इलाक़े की जलवायु, रहन-सहन, खान-पान और संस्कृति को समझना उपयोगी होता है, जिस इलाक़े में वह लोककथा सुनाई जाती है। राख की रस्सी शीर्षक लोककथा तिब्बत से संबंधित है, जिसे दुनिया की छत कहा जाता है क्योंकि यह बहुत ऊँचे पठार पर स्थित है। पठार ज़मीन के ऐसे भाग को कहते हैं जो मैदान से ऊँचा और पहाड़ से नीचा होता है। तिब्बत के पठार पर खड़े हैं ऊँचे-ऊँचे पहाड़ जो हिमालय का हिस्सा हैं। इन पहाड़ों की एक ख़ासियत यह है कि ये कई रंग के हैं—भूरे लाल, पीले, बैंगनी, गुलाबी, गेरुआ और हरे। ठीक वैसे ही जैसे छोटे बच्चे अपने चित्रों में मनचाहे रंग भर देते हैं। इन पथरीले पहाड़ों में तरह-तरह की मिट्टी खनिज पदार्थ हैं। सूरज की बढ़ती और घटती किरणों के पड़ने से वे पहाड़ अनोखे रंगों में चमक उठते हैं।

    तिब्बत की हवा में नमी बहुत कम है। इस वजह से यहाँ बरसात और बर्फ़बारी कम होती है। ख़ुश्क मौसम में पेड़-पौधे बहुत नहीं होते हैं। तिब्बत का पूर्वी भाग ही ऐसा है जहाँ घने जंगल पाए जाते हैं। उन जंगलों में पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों की दुर्लभ किस्में मिलती हैं। तिब्बत की मिट्टी कहीं रेतीली है, कहीं लाल-पीली, तो कहीं काली।

    तिब्बत में लगभग 1500 झीलें हैं। ये झीलें बनती हैं पहाड़ों की बर्फ़ पिघलने से। इनमें मानसरोवर झील का बहुत नाम है। यहीं से सांगपो यानी ब्रह्मपुत्र नदी निकलती है।

    काफ़ी ऊँचाई पर बसा होने के कारण तिब्बत बहुत ठंडा प्रदेश है। यहाँ की सर्दी का हाल मत पूछो! ऐसा लगता है जैसे किसी ने फ़्रिज़ में डाल दिया हो और ऊपर से तेज़ ठंडी हवा चल रही हो। इसीलिए वहाँ के लोग हमेशा भारी-भरकम गर्म कपड़े पहने रहते हैं।

    तिब्बती लोगों की घर बनाने की कारीगरी अनोखी है। यहाँ लकड़ी के बने हुए बहुमंज़िला घर हैं। लोग अब पत्थर, मिट्टी और सीमेंट के घर भी बनाने लगे हैं। खिड़कियाँ भी अधिक बनाई जाती हैं ताकि सूर्य की ढेर सारी रौशनी घर के अंदर जा सके। भूकंप से बचाव के लिए दीवारें अंदर की ओर थोड़ा झुकी होती हैं।

    तिब्बत का सबसे बड़ा शहर है ल्हासा। 3650 मीटर की ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यह दुनिया का सबसे ऊँचा शहर माना जाता है। कपड़ों तथा खाने-पीने के लिए यहाँ का बाज़ार बहुत प्रसिद्ध है। ल्हासा को तिब्बतियों का दिल माना जाता है।

    हिंदवी

    स्रोत :
    • पुस्तक : रिमझिम (पृष्ठ 11)
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022

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