Font by Mehr Nastaliq Web

स्त्री पर दोहे

स्त्री-विमर्श भारतीय

समाज और साहित्य में उभरे सबसे महत्त्वपूर्ण विमर्शों में से एक है। स्त्री-जीवन, स्त्री-मुक्ति, स्त्री-अधिकार और मर्दवाद और पितृसत्ता से स्त्री-संघर्ष को हिंदी कविता ने एक अरसे से अपना आधार बनाया हुआ है। प्रस्तुत चयन हिंदी कविता में इस स्त्री-स्वर को ही समर्पित है, पुरुष भी जिसमें अपना स्वर प्राय: मिलाते रहते हैं।

साँप बिच्छू का मंत्र है, माहुरहू झारा जाय।

विकट नारि के पाले परे, काढ़ि कलेजा खाय॥

सर्प तथा बिच्छू के काट और छेद लेने पर उनके विष को दूर करने के लिए वैद्य एवं डॉक्टरों की अनेक राय हैं। खाया हुआ विष भी औषध देकर टट्टी एवं वमन द्वारा गिराया जा सकता है। परंतु भयंकर स्त्री के चंगुल में फंस जाने पर उसके विष से छुटकारा पाना कठिन है। वह पुरुष का कलेजा निकालकर खा लेती है।

कबीर

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

संबंधित विषय

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए