नमक पर उद्धरण
विविध प्रसंगों में लवण,
लावण्य और अश्रु के आशय को व्यक्त करती कविताओं से एक चयन।

नमक पानी की थाह लेने गया तो वह स्वयं ही नहीं रहा, फिर कितना गहरा पानी है, यह नाप कैसे लेगा?
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere