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प्रसिद्ध पर कविताएँ

लड़की की हत्या

ऋद्धि गिरि

शहर

रेखा राजवंशी

पेट

नीलप्रभा भारद्वाज

अमर प्रेम

विजयपाल सिंह बीदावत

सन्नाटा

भवानी सिंह

ख़ुदा गवाह है

सुजाता नारायण

माँ तो रही नहीं अब

अलका सिन्हा

सुनो तुम!

मेधा झा

ज़माना आज का

मान्या श्रीवास्तव

आम आदमी

जितेंद्र वाशिष्ठ

ऐसे में प्रियतम ना आए

विजयपाल सिंह बीदावत

प्रस्थान : एक

सोनू यशराज

अर्ध मैं

कर्मदेव पाठक

आम इंसान

संदीप तोमर

हालात

जयंत शुक्ला

समुद्र

रमेश प्रजापति

सच

प्रदीप सिंह

आकाँक्षा

विजयपाल सिंह बीदावत

बिना शीर्षक

संदीप तोमर

उपेक्षा

ममता जयंत

सुख

ममता जयंत

रिहाई

प्रमिला शंकर

डिजिटल एकांत

प्रमिला शंकर

सच

प्रेमा झा

लेखक की मौत

ऋद्धि गिरि

हरकारा

सुल्तान अहमद

तुम होते हो तो

दीप्ति कुशवाह

ख़ामुशी

सीमा भारद्वाज

जीवन कपास-सा

प्रेमा झा

दिशाएँ

रवि यादव

दोपाए पशु

ममता जयंत

फिर क्यूँ..?

विजयपाल सिंह बीदावत

सीरासार चौक

विजय सिंह

एक अरसे बाद

संदीप तोमर

शीत लहर

प्रदीप सिंह

हमारे मिटने के बाद

वीरेंद्र वत्स

तुम साथ हो

दीप्ति कुशवाह

घर

प्रदीप सिंह

महानगर में मज़दूर

रमेश प्रजापति

कविता का मोगरा फूल

कपिल भारद्वाज

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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