संगीत पर लेख
रस की सृष्टि करने वाली
सुव्यवस्थित ध्वनि को संगीत कहा जाता है। इसमें प्रायः गायन, वादन और नृत्य तीनों शामिल माने जाते हैं। यह सभी मानव समाजों का एक सार्वभौमिक सांस्कृतिक पहलू है। विभिन्न सभ्यताओं में संगीत की लोकप्रियता के प्रमाण प्रागैतिहासिक काल से ही प्राप्त होने लगते हैं। भर्तृहरि ने साहित्य-संगीत-कला से विहीन व्यक्ति को पूँछ-सींग रहित साक्षात् पशु कहा है। इस चयन में संगीत-कला को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।
भारतीय गायिकाओं में बेजोड़—लता मंगेशकर
बरसों पहले की बात है। मैं बीमार था। उस बीमारी में एक दिन मैंने सहज ही रेडियो लगाया और अचानक एक अद्वितीय स्वर मेरे कानों में पड़ा। स्वर सुनते ही मैंने अनुभव किया कि यह स्वर कुछ विशेष है, रोज़ का नहीं। यह स्वर सीधे मेरे कलेजे से जा भिड़ा। मैं तो हैरान
कुमार गंधर्व
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere