अभिनव पर उद्धरण

मनुष्य अकेला नहीं है, वह समग्र से जुड़ा हुआ है, अनेकों पर उसकी निर्भरता अपरिहार्य है।

धरती तो अपने कण-कण में अभिनव है।
मनुष्य अकेला नहीं है, वह समग्र से जुड़ा हुआ है, अनेकों पर उसकी निर्भरता अपरिहार्य है।
धरती तो अपने कण-कण में अभिनव है।