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मनुष्य पर कवितांश

एक नीच व्यक्ति

जितनी पीड़ा स्वयं अपने आपको देता है

उतना ताप देना

किसी दुश्मन को भी संभव नही

तिरुवल्लुवर

ख़ुद भी लाभ उठाये बिना

और योग्य व्यक्तियों को दान दिये बगैर

जीनेवाला व्यक्ति

संपत्ति के लिए रोग बन जाता है

तिरुवल्लुवर

सज्जनों की सभा में

मुर्ख का प्रवेश करना इस प्रकार है—

जैसे साफ-सुथरी शय्या पर

बिना धोये पैर रखना

तिरुवल्लुवर

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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