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अतिथि पर कविताएँ

अतिथि का अभिप्राय है—आगंतुक,

मेहमान, अभ्यागत। ‘अतिथि देवो भवः’ की भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में वह अत्यंत सत्कार-योग्य कहा गया है। काव्य में प्रवेश और घर करता अतिथि अपने अर्थ और उपस्थिति का विस्तार करता चलता है।

आगंतुक

अज्ञेय

प्रमुख अतिथि

रमेश क्षितिज

माँ अतिथि है

कुमार अम्बुज

अतिथि

अन्ना अख्मातोवा

दिव्य नाश्ता

असद ज़ैदी

निषेध

कुलदीप कुमार

अतिथि

सेनापति प्रद्युम्न केशरी

अडिग अतिथि

ओम् प्रकाश आदित्य

अतिथि

अजंता देव

डरना मत भाई

हरे प्रकाश उपाध्याय

आगंतुक

मोनिका कुमार

वासवदत्ता

सोहनलाल द्विवेदी

अतिथि

दुव्वूरि रामिरेड्डी

अतिथि

सुशीला सामद

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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