डर पर कवितांश
डर या भय आदिम मानवीय
मनोवृत्ति है जो आशंका या अनिष्ट की संभावना से उत्पन्न होने वाला भाव है। सत्ता के लिए डर एक कारोबार है, तो आम अस्तित्व के लिए यह उत्तरजीविता के लिए एक प्रतिक्रिया भी हो सकती है। प्रस्तुत चयन में डर के विभिन्न भावों और प्रसंगों को प्रकट करती कविताओं का संकलन किया गया है।
लगता है कभी-कभी
सुख एक डर है
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere