आँख पर चौकड़ियाँ

आँखें पाँच ज्ञानेंद्रियों

में से एक हैं। दृश्य में संसार व्याप्त है। इस विपुल व्याप्ति में अपने विविध पर्यायों—लोचन, अक्षि, नैन, अम्बक, नयन, नेत्र, चक्षु, दृग, विलोचन, दृष्टि, अक्षि, दीदा, चख और अपने कृत्यों की अदाओं-अदावतों के साथ आँखें हर युग में कवियों को अपनी ओर आकर्षित करती रही हैं। नज़र, निगाह और दृष्टि के अभिप्राय में उनकी व्याप्ति और विराट हो उठती है।

घूँघट नावचार कों डारें

ओम प्रकाश सक्सेना ‘प्रकाश’

बोलौ यार परोसिन हँसकें

किशोर (बुंदेलखंडी)

नैना दिया दिवारी बारे

ओम प्रकाश सक्सेना ‘प्रकाश’

नैना कड़ाबीन से मारे

किशोर (बुंदेलखंडी)

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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