दलित पर उद्धरण
हिंदी कविता में गए कुछ
दशकों में दलित-विमर्श के उजाले में चेतना की नई रोशनाई से लिखी गई कविताओं की विचलित कर देने वाली दुनिया सामने आई है। यह चयन ऐसी ही दुनिया के बीच से किया गया है।

छठी-सातवीं शताब्दी के आसपास भारतीय इतिहास में भक्ति की जो ऐतिहासिक क्रान्तिकारी घटना हुई थी, उसका जन्म लोकजीवन में हुआ था, लोकभाषा में हुआ था। उसका श्रेय आदि-अद्विज अब्राह्मणों को है। इसे दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों ने शुरू किया था।

अछूत दलित की अवमानना की अवस्था केवल व्यक्तिगत नहीं होती।
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