भाई पर कविताएँ

एक सामाजिक और पारिवारिक

प्राणी के रूप में कवि की अभिव्यक्ति में पारिवारिक संबंधों की धूप-छाँह, घर में गुज़रे पलों की स्मृतियाँ और दंश, नाते-रिश्तेदार आदि का उतरना भी बेहद स्वाभाविक है। इस चयन में प्रस्तुत भाई विषयक कविताओं में इस अनूठे संबंध की ऊष्मा और ऊर्जा को महसूस किया जा सकता है।

घर की याद

भवानीप्रसाद मिश्र

चौदह भाई बहन

व्योमेश शुक्ल

छोटा-बड़ा

रसूल हमज़ातोव

ज़ोर

रचित

घिसी हुई चप्पलें

राजेश सकलानी

हनुमान और मज़दूर

मनोज छाबड़ा

राखी की चुनौती

सुभद्राकुमारी चौहान

कहाँ चल दिए हो

विनय सौरभ

नाव बनाओ नाव बनाओ

हरिकृष्णदास गुप्त हरि

यथोचित बहन

मंजुला बिष्ट

...भाई रे

उदय प्रकाश

भाई

बोधिसत्व

धूप में भाई

प्रयाग शुक्ल

भाई

जेनामणि नरेन्द्र कुमार

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere