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वीर पर कविताएँ

विकट परिस्थिति में भी

आगे बढ़कर अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले व्यक्ति को वीर कहा जाता है और उसकी वीरता की प्रशंसा की जाती है। इस चयन में वीर और वीरता को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

झाँसी की रानी

सुभद्राकुमारी चौहान

वीरों का कैसा हो वसंत?

सुभद्राकुमारी चौहान

उठ जाग मुसाफ़िर

वंशीधर शुक्ल

क़दम क़दम बढ़ाए जा

वंशीधर शुक्ल

चेतक की वीरता

श्याम नारायण पाण्डेय

दमदार दावे

अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

बढ़े चलो

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

नक़ली क़िला

मैथिलीशरण गुप्त

केशों की कथा

मैथिलीशरण गुप्त

हम सैनिक हैं

सियारामशरण गुप्त

एकिलीज़* के लिए

सत्यम तिवारी

सवाल

कुमार मंगलम

जो नाथेगा नाग

राकेश रंजन

बाजीप्रभु देशपांडे

मैथिलीशरण गुप्त

उत्तर और बृहन्नला

मैथिलीशरण गुप्त

बलि-पंथी से

माखनलाल चतुर्वेदी

क्षार-पारावार

मैथिलीशरण गुप्त

टाइटानिक की सिंधु-समाधि

मैथिलीशरण गुप्त

बहादुर औरतें

सुषमा सिंह

तलवार

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

तुम बहादुर हो

पल्लवी मंडल

सत्याग्रह-गीत

रामनरेश त्रिपाठी

मैं भैंस नहीं हूँ

नवनीत पांडे

सबसे तेज़

रविशंकर उपाध्याय

दस्ताने

मैथिलीशरण गुप्त

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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