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आम का पेड़

aam ka peD

अज्ञात

अन्य

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आम का पेड़

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    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा तीसरी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    गर्मियों के दिन थे। सौरभ के चाचाजी ने अपने बग़ीचे के एक टोकरी आम भेजे। आम बहुत मीठे थे। सौरभ को आम बहुत अच्छे लगे। उसने सोचा—ऐसे ही आम में अपने बग़ीचे में लगाऊँगा।

    उसने बग़ीचे में एक जगह थोड़ी मिट्टी खोदी। वहाँ आम की एक गुठली डाल दी। गुठली पर मिट्टी डालकर उसने थोड़ा पानी छिड़क दिया। वह प्रतिदिन सुबह वहाँ पानी डालता। कुछ दिन बीत गए। आम का पौधा नहीं निकला। उसने पानी डालना बंद कर दिया।

    एक दिन हलकी-हलकी वर्षा हो रही थी। सौरभ घूमता हुआ बग़ीचे में उसी जगह पर जा पहुँचा। सामने ही लाल-लाल कोंपलों वाला नन्हा-सा पौधा लगा था। पौधा देखते ही सौरभ प्रसन्न हो उठा। “पौधा निकल आया, पौधा निकल आया,” कहते-कहते वह अंदर भागा। अपनी छोटी बहन प्रिया का हाथ पकड़कर उसे बग़ीचे में ले आया। पौधा देखकर प्रिया भी ख़ुशी से उछल पड़ी।

    सौरभ बोला, “यह पौधा मैंने लगाया है। यह आम का पौधा है। इसमें ख़ूब मीठे आम लगेंगे।” दोनों भागे-भागे पिताजी के पास गए। पिताजी बोले, “क्या बात है? आज तुम दोनों बहुत प्रसन्न हो।” प्रिया बोली, “पिताजी, बग़ीचे में आम का पौधा निकल आया है। अगले वर्ष हम अपने ही पौधे के आम खाएँगे।” उसकी बात सुनकर पिताजी हँसे। वे प्यार से बोले, “छोटे से पौधे को बड़ा होने में बहुत समय लगेगा। चार-पाँच वर्ष में यह एक बड़ा पेड़ बन जाएगा। इसका तना मोटा होगा। बड़ी-बड़ी शाखाएँ होंगी। तब इसमें आम लगेंगे।”

    यह सुनकर प्रिया थोड़ी उदास हो गई। पर सौरभ तुरंत बोला, “कोई बात नहीं। हम पौधे की देखभाल करेंगे। एक दिन हम इसके फल अवश्य खाएँगे।”

    स्रोत :
    • पुस्तक : वीणा (पृष्ठ 33)
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022

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