गोधूलि

godhuli

हेक्टर ह्यू मनरो

नार्मन गॉर्टस्बी पार्क में एक बेंच पर बैठा हुआ था। उसके दाहिनी ओर शोर-शराबे से भरा हाइड पार्क स्थित था। मार्च का महीना, गोधूलि की बेला थी। सड़क पर अधिक लोग नहीं थे, फिर भी कई लोग विभिन्न मनस्थितियों में इधर से उधर, एक बेंच से दूसरी तक घूमते नज़र रहे थे।

गॉर्टस्बी को यह दृश्य पसंद आया, उसकी मौजूदा मन:स्थिति से वह मेल खाता था। गोधूलि, उसके अनुसार पराजय की घड़ी थी, जब पराजित तथा निराश स्त्री-पुरुष अपने को लोगों की नजरों से छिपा कर यहाँ बैठते थे। ऐसी घड़ी में उनके हाव-भाव, वेश-भूषा में कोई कृत्रिमता नहीं होती थी। उलटे वे उनकी ओर से उदासीन रहते थे, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उस मन:स्थिति में लोग उन्हें पहचान पाएँ। वहाँ बैठा-बैठा गॉर्टस्बी भी अपने को पराजित लोगों में मानने लगा। उसे धनाभाव नहीं था और यदि वह चाहता, तो अपने को समृद्धिशाली वर्ग में गिनवा सकता था। उसे तो पराजय का अनुभव हुआ था, अपनी किसी महत्त्वाकांक्षा को लेकर।

बेंच पर उसके बग़ल में ही एक वृद्ध बैठा था। उसके कपड़े-लत्ते विशेष अच्छे नहीं थे। फिर वह उठा और थोड़ी देर में आँखों से ओझल हो गया। अब उसकी जगह आकर बैठा एक युवक, जिसकी वेश-भूषा तो अच्छी थी, किंतु जिसके चेहरे पर पहले वाले वृद्ध व्यक्ति की तरह ही खिन्नता तथा रुष्टता झलक रही थी।

—आप बहुत अच्छे टेंपर में नहीं लगते! गॉर्टस्बी ने उससे कहा। युवक ने बिना झिझक उसकी ओर ऐसे देखा कि वह संभल गया।

—आपका टेंपर भी अच्छा हरगिज़ नहीं होता, यदि आप मेरी तरह असहाय बन गए होते। मैंने अपनी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी मूर्खता कर डाली है!

—ऐसा? गॉर्टस्बी ने उदासीनता से कहा।

—इस अपराह्न में वर्कशायर स्क्वायर के पैंटागोनियन होटल में ठहरने के ख़याल से आया था। वहाँ पहुँचा, तो क्या देखता हूँ कि उसकी जगह पर एक थिएटर खड़ा है। टैक्सी ड्राइवर ने कुछ दूर पर एक दूसरे होटल की सिफ़ारिश की। वहाँ पहुँच कर मैंने घर पर होटल का पता देते हुए एक पत्र लिखा और साबुन की एक टिकिया ख़रीदने के विचार से निकला। साबुन साथ लाना मैं भूल गया था और होटल का साबुन इस्तेमाल में लाना मुझे पसंद नहीं। साबुन ख़रीद कर मैं एक बार में गया। थोड़ी शराब पी और दुकानों को देखता हुआ जब होटल के लिए लौटने को हुआ, तो सहसा ख़याल आया कि तो मुझे होटल का नाम याद है और ही उस सड़क का, जिस पर वह स्थित है, मैं साथ में एक शिलिंग लेकर ही बाहर निकला था। और पीने-पिलाने और साबुन की टिकिया ख़रीदने के बाद एक ही पेंस मेरे पास रह गया है। अब मैं रात को कहाँ जा सकता हूँ!

यह कहानी सुनाई जाने के बाद निस्तब्धता छाई रही।

—शायद आप सोच रहे हैं कि मैंने एक अनहोनी बात आपसे कह सुनाई है! युवक ने कुछ झुँझलाहट भरे स्वर में कहा।

—बिल्कुल असंभव तो नहीं! गॉर्टस्बी ने दार्शनिक ढंग से कहा—मुझे याद है कुछ वर्ष पहले एक विदेशी राजधानी में मैंने भी ऐसा ही किया था।

अब युवक उत्साहित होकर बोला—विदेशी नगर में यह परेशानी नहीं। यहाँ अपने ही देश में ऐसा हो जाने पर बात बिल्कुल भिन्न हो जाती है। जब तक कोई ऐसा भद्र व्यक्ति नहीं मिल जाता, जो मेरी आपबीती को सत्य समझकर मुझे कुछ रक़म क़र्ज़ के तौर पर दे, तब तक मुझे रात खुले आकाश में गुज़ारनी पड़ेगी। मुझे ख़ुशी है कि आप मेरी आपबीती को सफ़ेद झूठ नहीं मान रहे हैं।

—बात तो ठीक है, किंतु आपकी कहानी का सबसे कमज़ोर मुद्दा यह है कि आप वह साबुन की टिकिया पेश नहीं कर सकते।

युवक जल्दी से आगे को सरक कर बैठ गया, जल्दी-जल्दी उसने जेबें टटोली और फुसफसाया —मैंने उसे खो दिया लगता है।

—होटल और साबुन की टिकिया, दोनों को एक ही अपराह्न में खो देना तो लापरवाही का ही सूचक माना जाएगा। किंतु वह युवक उसकी अंतिम बात सुनने के लिए रुका नहीं।

बेचारा! गॉर्टस्बी ने सोचा, सारी कहानी में अपने लिए साबुन की टिकिया लेने जाना ही सचाई को प्रकट करने वाली एकमात्र बात थी और उसी ने बेचारे को दुखी कर दिया।

इन विचारों के साथ वहाँ से जाने के लिए गॉर्टस्बी उठा ही था कि ठिठक कर रह गया। क्या देखता है कि बेंच के बग़ल में नए रैपर में लिपटी हुई कोई वस्तु ज़मीन पर पड़ी है, वह वस्तु साबुन की टिकिया है, उसने सोचा। युवक की ख़ोज में वह तेज़ी से लपका। अभी वह कुछ ही दूर चल पाया होगा कि उसने उस युवक को एक स्थान पर विमूढ़ावस्था में खड़ा पाया।

—आपकी कहानी का महत्त्वपूर्ण गवाह मिल गया है! गॉर्टस्बी ने रैपर में लिपटी टिकिया उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा—आप मुझे मेरे अविश्वास के लिए क्षमा करें। यदि एक गिनी से आपका काम चल सके, तो...

युवक ने उसके द्वारा बढ़ायी गई गिनी को जेब में रखते हुए उसके संदेह को तत्काल दूर कर दिया।

—यह लीजिए मेरा कार्ड, पते के साथ। इस सप्ताह में किसी भी दिन मेरा क़र्ज़ आप लौटा सकते हैं। हाँ, यह टिकिया भी लीजिए।

—भाग्यवश ही यह आपको मिल पाई! कहने के साथ ही युवक नाइट ब्रिज की दिशा में तेज़ी से लुप्त हो गया।

बेचारा! गॉर्टस्बी ने सोचा।

अभी वापस लौटकर वह अपनी बेंच पर, जहाँ उपरोक्त नाटक घटित हुआ था, बैठने ही वाला था कि उसने एक वृद्ध को बेंच के चारों ओर झुककर कुछ तलाश करते पाया। उसने यह जान लिया कि वह वही वृद्ध था, जो कुछ देर पहले उस बेंच का सहभागी था।

—क्या आपका कुछ खो गया है? उसने सहानुभूतिपूर्वक पूछा।

—हाँ, साबुन की एक टिकिया।

स्रोत :
  • पुस्तक : विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ (खण्ड-2) (पृष्ठ 54)
  • संपादक : ममता कालिया
  • रचनाकार : हेक्टर ह्यू मनरो 'साकी'
  • प्रकाशन : लोकभारती प्रकाशन
  • संस्करण : 2005
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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