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तैं मन मोह्यौ मोर रे

tain man mohyau mor re

दादू दयाल

अन्य

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दादू दयाल

तैं मन मोह्यौ मोर रे

दादू दयाल

और अधिकदादू दयाल

    तैं मन मोह्यौ मोर रे, रहि सकौं हौं राम जी॥

    तोरे नाइ चित लाइया रे, औरनि भया उदास।

    साईं ये समझाइया, हौं संग छोड़ों पास रै॥

    जानौं तिलहि बीछुटों रे, जिनि पछतावा होइ।

    गुण तेरे रसना जपौं, सुणसी साइन सोइ रे॥

    भौरें जनम गँवाइया रे, चीन्हा नहीं सो सार।

    अजहूँ यह अचेत है, और नहीं आधार रे॥

    पिव की प्रीति तौ पाइये रे, जे सिर होवै भाग।

    यौ तौ अनत जाइसी, रहसी चरणों लाग रे॥

    अनतैं मन निरवारिया रे, मोहिं एकै सेती काज।

    अनत गये दुख ऊपजै, मोहिं एकहि सेती राज रे॥

    साईं सों सहजै रमौं रे, और नहीं आन देव।

    तहाँ मन बिलबिया, जहाँ अलख अभेव रे॥

    चरन कंवल चित लाइया रे, भोरैं हो ले भाव।

    दादू जन अचेत है, सहजै ही तूं आव रे॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : दादू दयाल की बानी (दूसरा भाग) (पृष्ठ 4)
    • रचनाकार : दादू दयाल
    • प्रकाशन : बेलवेडियर स्टीम, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1914

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