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रस के रसिया लीन भये

ras ke rasiya leen bhaye

दादू दयाल

अन्य

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दादू दयाल

रस के रसिया लीन भये

दादू दयाल

और अधिकदादू दयाल

    रस के रसिया लीन भये।

    सकल सिरोमणि तहाँ गये॥

    रांम रसांइण अमृत माते, अविचल भये नरकि नहीं जाते॥

    रांम रसांइण भरि भरि पीवै, सदा सजीवनि जुगि जुगि जीवै॥

    रांम रसांइण त्रिभुवण सार, रांम रसिक सब उतरे पार॥

    दादू अमली बहुरि आये, सुख सागर ता मांहि समाये॥

    राम रस के प्रेमी राम में लीन हो गए। समस्त भक्त शिरोमणि जिस रूप में थे, उसी में लीन हो गए। जो राम-रसायन रूपी अमृत का पान करके मतवाले हो जाते हैं, वे ब्रह्म के समान स्थिर हो जाते हैं और नरक में नहीं जाते हैं। जो राम रसायन का पान करता है, वह युग-युग जीता है और मृत्यु-भय उसे नहीं होता। राम रस तीनों लोकों का वास्तविक सार है और जो इस रस के रसिक हैं वे इस संसार सागर से पार हो गए। दादू कहते हैं कि राम-रसायन रूपी अम्ल का पान करने वाले पुनः आवागमन के फेर में नहीं पड़ते। वे सुख के सागर ब्रह्म में समा जाते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दादू समग्र (एक) (पृष्ठ 119)
    • रचनाकार : दादू दयाल
    • प्रकाशन : अमरसत्य प्रकाशन
    • संस्करण : 2007

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