Font by Mehr Nastaliq Web

वृद्ध भये तन खासा

vriddh bhaye tan khaasa

पलटू

अन्य

अन्य

पलटू

वृद्ध भये तन खासा

पलटू

और अधिकपलटू

    वृद्ध भये तन खासा, अब कब भजन करहुगे।

    बालापन बालक संग बीता, तरुन भये अभिमाना।

    नख-सिख सेती भई सफ़ेदी, हरि का मरम जाना॥

    तिरिमिरि बहिर नासिका चूवै, साक गरे चढ़ि आई।

    सुत दारा गरियावन लागे, यह बुढ़वा मरि जाई॥

    तीरथ बर्त एकौ नहिं कीन्हा, नहिं साधु की सेवा।

    तीनिउ पन धोखे में बीते, ऐसे मूरुख देवा॥

    पकरा आइ काल ने चोटी, सिर धुनि-धुनि पछिताता।

    पलटू दास कोऊ नहिं संगी, जम के हाथ बिकाता॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : पलटू साहेब की बानी (पृष्ठ 401)
    • संपादक : अभिलाषा दास
    • रचनाकार : पलटू
    • प्रकाशन : कबीर आश्रम, कबीर नगर, इलाहाबाद
    • संस्करण : 2012

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए