Font by Mehr Nastaliq Web

जे जन नाम भजि बलवान

je jan nam bhaji balwan

संत जगजीवन

अन्य

अन्य

संत जगजीवन

जे जन नाम भजि बलवान

संत जगजीवन

और अधिकसंत जगजीवन

    जे जन नाम भजि बलवान।

    ताहि केवल कोई नाहीं, कौन मारे मान॥

    रहत निरखत पलक छिन-छिन, नाम बहु निर्बान।

    चाखि पीवै जिवै जुग-जुग, काल देखि डेरान॥

    कहत कथा प्रगास करि कै, जुगन जुग का ज्ञान।

    उतरि गा सो पार कामन, जानि मानि प्रमान॥

    ताहि कीरति कवन गावै, कहत बेद पुरान।

    जगजीवन बिस्वास करि, गुरुचरन तें लिपटान॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : जगजीवन साहब की बानी, पहला भाग (पृष्ठ 82)
    • रचनाकार : जगजीवन साहब
    • प्रकाशन : बेलवेडरी स्टीम प्रिंटिंग वर्क्स, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1909

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए