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अपुने रामहि भजु रे मन आलसीआ

apune ramahi bhaju re man alsia

नामदेव

अन्य

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नामदेव

अपुने रामहि भजु रे मन आलसीआ

नामदेव

और अधिकनामदेव

    असुमेध जगने।। तुला पुरख दाने।। प्राग इसनाने।।

    तउ पुजहि हरि कीरति नामा।।

    अपुने रामहि भजु रे मन आलसीआ।।

    गइआ पिंड भरता। बनारसि असि बसता।।

    मुखि बेद चतुर पड़ता।

    सगल धरम अछिता।। गुर गिआन इंद्री द्रिड़ता।।

    खटु करम सहित रहता।।

    सिवा सकति संबादं।। मन छोडि छोडि सगल भेदं।।

    सिमरि सिमरि गोबिंदं।। भजु नामा तरसि भव सिंधं।।

    स्रोत :
    • पुस्तक : संतो की बानी (पृष्ठ 439)
    • रचनाकार : नामदेव
    • प्रकाशन : राधास्वामी सत्संग ब्यास
    • संस्करण : 2006

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