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ऐसे राम भजन करु बावरे

aise ram bhajan karu bawre

धरनीदास

अन्य

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धरनीदास

ऐसे राम भजन करु बावरे

धरनीदास

और अधिकधरनीदास

    ऐसे राम भजन करु बावरे।

    बेद साखि जन कहत पुकारे, जो तेरे चित चाव रे॥

    काया द्वार है निरखूँ निरंतर, तहाँ ध्यान ठहराव रे।

    तिरबेनी एक संगहिं संगम, सुन्न सिखर कहँ धाव रे॥

    हद्द उलंघि अनाहद निरखौ,अरध उरध मधि ठाँव रे।

    राम नाम निसु दिन लव लागै, तबहिं परम पद पाव रे॥

    तहँ है गगन गुफा गढ़ गाढ़ो, जहाँ पवन पछाँव रे।

    धरनीदास तासु पद बंदै, जो यह जुगति लखाव रे॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : धरनीदास की बानी (पृष्ठ 15)
    • रचनाकार : धरनीदास
    • प्रकाशन : वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
    • संस्करण : 1931

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