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सिरि-थूलिभद्द फागु (प्रथम भास)

siri thulibhadd phagu (pratham bhas)

जिन पद्म सूरि

अन्य

अन्य

जिन पद्म सूरि

सिरि-थूलिभद्द फागु (प्रथम भास)

जिन पद्म सूरि

और अधिकजिन पद्म सूरि

    ( अह ) सोहग सुंदर रुपवंतुगुण-मणि-भंडारो

    कंचण जिम झलकंत-कति संजम-सिरि-हारो।

    थूलिभद्दमणिराउ जाम महियलि बोहंतउ

    नयरराज-पाडलिय-माहि पहुतउ विहरंतउ॥२॥

    वरिसालइ चउमास-माहि साहू गहगहिया

    लियइ अभिग्गह गुरुह पासि निय-गुण-महमहिया।

    अज्ज-विजयसंभूइ-सूरि गुरु-वय मोकलावइ

    तसु आएसि मुणीस कोस-वेसा घरि आवइ॥३॥

    मंदिर-तोरणि आवियउ मुणिवरु पिक्खेवी

    चमकिय चित्तिहि दासडिउ वेगि जाइ वधावी।

    वेसा अतिहि ऊतावलि हारिहिं लहकंती

    आविय मुणिवर राय-पासि करयल जोडंती॥४॥

    ‘धम्म-लाभु' मुणिवइ भणवि चित्रसाली मंगेवी

    रहियउ सीह-किसोर जिम धीरिम हियइ-धरेवी॥५॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : आदिकाल की प्रामाणिक रचनाएँ (पृष्ठ 149)
    • संपादक : गणपति चंद्र गुप्त
    • रचनाकार : जिन पद्म सूरि
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हॉउस
    • संस्करण : 1976

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