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श्रीहर्ष के उद्धरण

शिष्टाचार के कारण अपनी आत्मा को भी तिनके के समान लघु बनाना चाहिए, अपना आसन छोड़कर अतिथि को देना चाहिए, आनंद के अश्रुओं से जल देना चाहिए और मधुर वचनों से कुशलक्षेम पूछना चाहिए।