Font by Mehr Nastaliq Web

कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर के उद्धरण

मृत्यु के संबंध में मनुष्य के ज्ञान कोष का सर्वोतम रत्न यही है कि अधिक से अधिक जीने का पुरुषार्थ करे, पर उसे मनुष्य की तरह मरने का जब भी अवसर मिले, चूके नहीं।