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यतीश कुमार

1976 | मुंगेर, बिहार

सुपरिचित कवि-लेखक। कविताओं की दो पुस्तकें 'अन्तस की खुरचन' और 'आविर्भाव' शीर्षक से प्रकाशित ।

सुपरिचित कवि-लेखक। कविताओं की दो पुस्तकें 'अन्तस की खुरचन' और 'आविर्भाव' शीर्षक से प्रकाशित ।

यतीश कुमार के बेला

11 अप्रैल 2025

विभाजन-विस्थापन-पुनर्वासन की एक विस्मृत कथा

विभाजन-विस्थापन-पुनर्वासन की एक विस्मृत कथा

पहले पन्ने पर लेखक ने इस उपन्यास (‘मरिचझाँपि को छूकर बहती है जो नदी’) का मर्म लिख दिया है—“विभाजन, विस्थापन एवं पुनर्वासन की एक विस्मृत कथा”। यह पंक्ति पढ़ते ही आप सहज से थोड़े सजग पाठक में बदल जाते

08 फरवरी 2025

बहुत कुछ खोने के अँधेरे में किसी को बचाने की कहानियाँ

बहुत कुछ खोने के अँधेरे में किसी को बचाने की कहानियाँ

इस किताब को पढ़ते हुए यह महसूस होता है कि कवि-कथाकार-फ़िल्मकार देवी प्रसाद मिश्र की कहानियों के साथ चलना ख़ुद को विशद करना और उदात्त करना ही तो है। ‘कोई है जो’ खिड़की से भीतर गया, दरवाज़े से भीतर जात

07 दिसम्बर 2024

सौंदर्य की नदी नर्मदा : नर्मदा के वनवास से अज्ञातवास की पूरी कहानी

सौंदर्य की नदी नर्मदा : नर्मदा के वनवास से अज्ञातवास की पूरी कहानी

“सौंदर्य उसका, भूल-चूक मेरी!” शुरुआती पन्नों में ही यह पंक्ति लिखकर लेखक अपनी मंशा बिल्कुल साफ़ कर देते हैं। सारे ग्रह से लेकर परमाणु तक सब अपनी-अपनी कक्षा में परिक्रमा कर रहे हैं और इसी तरह प्रत्येक

25 जुलाई 2024

भूलना दुनिया का सबसे बुरा मर्ज़ है

भूलना दुनिया का सबसे बुरा मर्ज़ है

“नदी इतनी पतली थी कि उसमें अब बस धूप से सनी थोड़ी नींद बहती थी।” पहली कहानी के पहले पन्ने पर ऐसी काव्यात्मक भाषा मिल जाए तो पठनीयता की भी ट्यूनिंग हो जाती है। नदी का पेट के मुहाने में बदल जाने की

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