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विनोद कुमार शुक्ल

1937 | राजनाँदगाँव, छत्तीसगढ़

सुप्रसिद्ध कवि-कथाकार। साहित्य अकादेमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

सुप्रसिद्ध कवि-कथाकार। साहित्य अकादेमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

विनोद कुमार शुक्ल के ऑडियो

कविता

अपने हिस्से में लोग आकाश देखते हैं

रेख़्ता AI

आँख बंद कर लेने से

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कितना बहुत है

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जाते-जाते ही मिलेंगे लोग उधर के

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जो कुछ अपरिचित हैं

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जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे

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दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है

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दूर से अपना घर देखना चाहिए

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प्रेम की जगह अनिश्चित है

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मैं अंतर्मुखी होकर

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सबसे ग़रीब आदमी की

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Recitation

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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