वासुदेवशरण अग्रवाल का आलोचनात्मक लेखन
प्राचीन भारतीय रंगमंच की एक अनुपम नृत्त-नाट्य विधि
प्राचीन भारतीय-जीवन नृत्य, गीत, वाद्य और नाट्य के अनेक रुचिर प्रयोगों से भरा हुआ था। मातृभूमि की वंदना करते हुए अथर्ववेद के पृथिवी-सूक्त में कवि ने पृथिवी पर होने वाले नृत्य-गीतों के इन मनोहर नेत्रोत्सवों का इस प्रकार उल्लेख किया है। यस्यां गायंति नृत्यंति