श्याम बिहारी मिश्र का आलोचनात्मक लेखन
हिंदी का पद्य साहित्य
पद्य-काव्य की बदौलत भारतीय अन्य भाषाओं में ही नहीं, वरन सभी देशों की सभी भाषाओं के सामने हिंदी का सिर ऊँचा है। पराधीन होने पर भी हम लोगों में इतना जात्यभिमान शेष है कि हम अपने यहाँ की सभी वस्तुओं को हीन नहीं समझते, विशेषतया उन विषयों में, जिनमें किसी
महात्मा सूरदास
सूरदास की गणना अष्टछाप अर्थात् ब्रज के आठ कवीश्वरों में है। उन आठों कवियों के नाम ये हैं—सूरदास, कुंभनदास, परमानंददास, कृष्णदास, छीत स्वामी, गोविंद स्वामी, चतुर्भुजदास और नंददास। इनमें प्रथम चार महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य के और अंतिम चार श्री स्वामी विट्ठलनाथ
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere