श्रीनारायण गुरु की कविताएँ
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1856 - 1928 | तिरुवनंतपुरम, केरला
समादृत मलयाली संत-कवि, दार्शनिक और समाज-सुधारक। सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों में योगदान।
समादृत मलयाली संत-कवि, दार्शनिक और समाज-सुधारक। सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों में योगदान।