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सहचरिशरण

ब्रजभाषा के भक्त कवि। टट्टी संप्रदाय से संबद्ध।

ब्रजभाषा के भक्त कवि। टट्टी संप्रदाय से संबद्ध।

सहचरिशरण के दोहे

यह मंजावलि मंजु वर, इस्क सिलीमुख-ग्राम।

रसिकन हृदय प्रबेस करि, राजत अति अभिराम॥

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