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रूप गोस्वामी

1493 - 1564

गौड़ीय वैष्णव परंपरा के प्रमुख आचार्य, संत, भक्त, कवि और दार्शनिक।

गौड़ीय वैष्णव परंपरा के प्रमुख आचार्य, संत, भक्त, कवि और दार्शनिक।

रूप गोस्वामी की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 3

पृथ्वी पर भारत उत्तम है, उसमें भी मधुपुरी सुंदर है, उसमें वृंदावन श्रेष्ठ है और उसमें भी रासस्थली यमुना का किनारा उत्तम है।

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जब तक भोग और मोक्ष की वासना रूपिणी पिशाची हृदय में बसती है, तब तक उसमें भक्ति-रस का आविर्भाव कैसे हो सकता है।

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अंतःकरण को अत्यंत द्रवीभूत कर देनेवाले और बछड़े अत्यधिक ममता से युक्त सांद्र भाव को ही विद्वान् लोग 'प्रेम कहते हैं।

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