रूप गोस्वामी के उद्धरण

पृथ्वी पर भारत उत्तम है, उसमें भी मधुपुरी सुंदर है, उसमें वृंदावन श्रेष्ठ है और उसमें भी रासस्थली यमुना का किनारा उत्तम है।
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जब तक भोग और मोक्ष की वासना रूपिणी पिशाची हृदय में बसती है, तब तक उसमें भक्ति-रस का आविर्भाव कैसे हो सकता है।

अंतःकरण को अत्यंत द्रवीभूत कर देनेवाले और बछड़े अत्यधिक ममता से युक्त सांद्र भाव को ही विद्वान् लोग 'प्रेम कहते हैं।
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