रत्नावली की कविताएँ
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1520 - 1594 | कासगंज, उत्तर प्रदेश
भक्तिकाल से संबद्ध ब्रजभाषा की कवयित्री। नीति-काव्य के लिए उल्लेखनीय।
भक्तिकाल से संबद्ध ब्रजभाषा की कवयित्री। नीति-काव्य के लिए उल्लेखनीय।