ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानियाँ
शवयात्रा
चमारों के गाँव में बल्हारों का एक परिवार था, जो जोहड़ के पार रहता था। चमारों और बल्हारों के बीच एक सीमा रेखा की तरह था जोहड़। बरसात के दिनों में जब जोहड़ पानी से भर जाता था तब बल्हारों का संपर्क गाँव से एकदम कट जाता था। बाक़ी समय में पानी कम हो जाने
ख़ानाबदोश
सुकिया के हाथ की पथी कच्ची ईंटें पकने के लिए भट्टे में लगाई जा रही थीं। भट्टे के गलियारे में झरोखेदार कच्ची ईंटों की दीवार देखकर सुकिया आत्मिक सुख से भर गया था। देखते-ही-देखते हज़ारों ईंटें भट्ठे के गलियारे में समा गई थीं। ईंटों के बीच ख़ाली जगह में पत्थर
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere